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छत्तीसगढ़ में ईडी की छापेमारी में 4 करोड़ रुपये नकद और 10 किलोग्राम चांदी के जेवर जब्त

रायपुर, 06 सितम्बर । छत्तीसगढ़ में तीन-चार सितम्बर को ईडी की रायपुर जोन की टीम ने 28 जगहों पर डीएमएफ घोटाले को लेकर की छापा मार कार्रवाई का आज खुलासा किया। ईडी ने आज जानकारी दी कि छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम लिमिटेड (बीज निगम) से संबंधित कारोबारियों, ठेकेदारों और बिचौलियों के ठिकानों […]

रायपुर, 06 सितम्बर । छत्तीसगढ़ में तीन-चार सितम्बर को ईडी की रायपुर जोन की टीम ने 28 जगहों पर डीएमएफ घोटाले को लेकर की छापा मार कार्रवाई का आज खुलासा किया। ईडी ने आज जानकारी दी कि छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम लिमिटेड (बीज निगम) से संबंधित कारोबारियों, ठेकेदारों और बिचौलियों के ठिकानों से छापेमारी में 4 करोड़ रुपये नकद, 10 किलोग्राम चांदी के जेवर जब्त किए गए हैं। साथ ही कई संदिग्ध दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस भी जब्त किए गए हैं। इन दस्तावेजों में भ्रष्टाचार और अवैध लेन-देन से जुड़े कई अहम सबूत मिले हैं।

ईडी की जांच से उजागर हुआ है कि छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के डीएमएफटी फंड लगभग 350 करोड़ रुपये का उपयोग बीज निगम के माध्यम से किया गया था। मिनी दाल मिल, बीज आदि और अनुबंध मूल्य का 40 से 60 प्रतिशत तक कमीशन/रिश्वत (अपराध की आय) उनसे संपर्क कर्ताओं द्वारा ली गई थी। अंत में कुछ सरकारी अधिकारियों और अन्य सहयोगियों तक पहुंचाई गई थी। इससे पहले भी ईडी ने 21.47 करोड़ रुपये की संपत्ति अस्थायी रूप से कुर्क की थी। इसके अलावा रायपुर स्थित विशेष पीएमएलए न्यायालय में एक अभियोजन शिकायत भी दायर की गई, जिसमें 16 लोगों को आरोपित बनाया गया। इसके अलावा इस मामले में तीन लोगों आईएएस रानू साहू, राज्य सेवा अधिकारी माया वारियर और मनोज कुमार द्विवेदी को गिरफ्तार किया गया।

भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 1860 और 1988 के तहत छत्तीसगढ़ पुलिस ने विक्रेताओं/ठेकेदारों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ डीएमएफटी फंड के कथित दुरुपयोग पर एफआईआर दर्ज की। इसी के आधार पर ईडी ने जांच शुरू की। डीएमएफटी एक ट्रस्ट है, जिसे खनन कंपनियों से प्राप्त धन से वित्तपोषित किया जाता है और इसका उपयोग प्रभावित समुदायों के कल्याण, शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और पर्यावरण बहाली जैसे क्षेत्रों में किया जाता है। खनन संबंधी परियोजनाओं और गतिविधियों से प्रभावित लोगों के लाभ के लिए काम करने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में डीएमएफटी स्थापित किया गया। हालांकि कुछ सरकारी अधिकारियों ने कुछ विक्रेताओं/ठेकेदारों और बिचौलियों के साथ मिलीभगत करके इसका दुरुपयोग किया और भारी मात्रा में कमीशन/रिश्वत के बदले अवैध रूप से निविदाओं का आवंटन प्राप्त करके अपराध से आय (पीओसी) अर्जित की।

उल्लेखनीय है कि करोड़ों के डीएमएफ घोटाले को लेकर ईडी की रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। इस मामले में यह तथ्य सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की गई है। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।

ईडी के अनुसार टेंडर करने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और विचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पीयूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर नाम के लोगों के साथ मिलकर पैसे कमाए गए। इसका खुलासा कोरबा में 575 करोड़ रुपये से ज्यादा के हुए स्कैम की जांच में हुआ। इसकी पुष्टि रायपुर कोर्ट में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) द्वारा पेश किए गए 6 हजार पेज के चालान से हुई। इस पूरे मामले में ईडी ने कृषि विभाग के कई अधिकारियों से पूछताछ की थी। डीएमएफ की राशि से ज्यादातर जिलों में कृषि सामग्री की खरीद हुई थी।

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