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दिल्ली में यमुना नदी के जलस्तर में गिरावट, बाढ़ से कई राज्य प्रभावित, प्रधानमंत्री करेंगे दौरा

नई दिल्ली, 06 सितंबर । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज यमुना नदी के प्रवाह में कल के मुकाबले कुछ और कमी आई है। पुराना रेलवे पुल (ओल्ड रेलवे ब्रिज) पर शनिवार को सुबह 10 बजे यमुना का जलस्तर 206.43 मीटर आ गया। शुक्रवार सुबह सात बजे पुराना रेलवे पुल पर यमुना का जलस्तर 207.33 मीटर […]

नई दिल्ली, 06 सितंबर । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज यमुना नदी के प्रवाह में कल के मुकाबले कुछ और कमी आई है। पुराना रेलवे पुल (ओल्ड रेलवे ब्रिज) पर शनिवार को सुबह 10 बजे यमुना का जलस्तर 206.43 मीटर आ गया। शुक्रवार सुबह सात बजे पुराना रेलवे पुल पर यमुना का जलस्तर 207.33 मीटर था। दिल्ली में पुराना रेलवे पुल को लोहा पुल भी कहा जाता है। इस समय दिल्ली, पंजाब और हरियाणा समेत उत्तर भारत के कई राज्य बाढ़ग्रस्त हैं। बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान पंजाब में हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जल्द ही बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करेंगे।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कई हिस्सों में जनजीवन को प्रभावित करने वाली यमुना नदी अभी भी खतरे के निशान 205.33 मीटर से ऊपर है। दिल्ली में चेतावनी का निशान 204.50 मीटर है। यमुना के तटीय क्षेत्रों से लोगों को निकालने का काम 206 मीटर से शुरू होता है। ओआरबी नदी के प्रवाह और संभावित बाढ़ के जोखिमों पर नज़र रखने के लिए एक प्रमुख अवलोकन बिंदु के रूप में कार्य करता है। उल्लेखनीय है कि पुराना रेलवे पुल दिल्ली में बाढ़ पूर्वानुमान केंद्र माना जाता है।

दिल्ली के अधिकारियों के अनुसार, स्थिति पर 24 घंटे नजर रखी जा रही है। यमुना के निचले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के अस्थायी आवास के लिए दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे, मयूर विहार, कश्मीरी गेट और आसपास के इलाकों में टेंट लगाए गए हैं। बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारियों के अनुसार, हरियाणा के यमुना नगर के हथिनीकुंड बैराज से आज सुबह नौ बजे 50,629 क्यूसेक और वज़ीराबाद बैराज से लगभग 1,17,260 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। हथिनीकुंड से छोड़े गए पानी को दिल्ली पहुंचने में आमतौर पर 48 से 50 घंटे का समय लगता है।

सतलुज और ब्यास नदी में आई बाढ़ पर भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने कहा है कि 1988 के बाद पंजाब में चार बार अधिक बारिश हुई है, लेकिन उस समय भी इतना पानी कभी नहीं आया। वर्ष 1988 में पौंग बांध में 7.9 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी आया था जो इस वर्ष 11.7 बीसीएम तक पहुंच गया है। पंजाब में करीब 2000 गांव डूब गए हैं। बांध भरते समय भारतीय मौसम विज्ञान विभाग और ग्लोबल फॉरकास्ट सिस्टम आदि से जानकारी लेकर पानी छोड़ने या संग्रहण करने के बारे में निर्णय लिया जाता है।

प्रधानमंत्री मोदी जल्द ही बाढ़ प्रभावित राज्यों का दौरा कर स्थिति का जायजा लेंगे। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब जैसे राज्यों के कुछ हिस्से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में शामिल हैं। हरियाणा में भी बाढ़ का खतरा गहरा गया है। इस संकट से निपटने के लिए पहली बार सेना की मदद ली गई। शुक्रवार को सेना के 80 जवानों ने झज्जर के बहादुरगढ़ में मोर्चा संभाला। फरीदाबाद में यमुना, सिरसा में घग्गर, कुरुक्षेत्र में मारकंडा और अंबाला में टांगरी नदी पूरे उफान पर है।

यमुनानगर में हथिनीकुंड बैराज पर शुक्रवार को 106 घंटे बाद जलस्तर खतरे के निशान से नीचे पहुंच गया। जलस्तर एक लाख क्यूसेक से कम होने पर बैराज के फ्लड गेट खोले गए। धीरे-धीरे पानी यमुना नदी में छोड़ा जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में कीरतपुर-मनाली फोरलेन पर मंडी जिले के झलोगी में बनी सुरंग का दक्षिणी हिस्सा धंस गया है। कुल्लू में शुक्रवार को इनर अखाड़ा बाजार में मलबे से तीन शव मिले हैं। किन्नौर जिले के लिप्पा गांव में गुरुवार शाम आई बाढ़ में मलबा और पत्थर आने से कृत्रिम झील बन गई है। चंबा जिले के भरमौर में फंसे मणिमहेश श्रद्धालुओं की जान बचाने के लिए वायुसेना के दो चिनूक हेलीकॉप्टरों ने शुक्रवार को 12 उड़ानें भरीं। इस दौरान 524 श्रद्धालुओं को सुरक्षित पहुंचाया गया। राजस्थान में वर्षा का दौर जारी रहने से दौसा जिले में मोरल बांध पूरी तरह से भर गया है। इससे एक दीवार टूट गई और कटाव होने से आसपास के इलाके पानी में डूब गए।

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