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बांग्लादेश में ‘साम्प्रदायिक दंगा, साजिश का नतीजा’- सेना

ढाका,। बांग्लादेश की सेना ने देररात दावा किया कि देश के खगराछारी के गुइमारा उपजिला में स्थिति नियंत्रण में हैं। हालांकि कुछ क्षेत्रों में अभी भी तनाव है। अशांति के मद्देनजर प्रभावित क्षेत्र में अर्ध बलों की टुकड़ी तैनात की गई हैं। सेना ने हालिया घटनाओं पर विस्तृत आधिकारिक बयान जारी किया। इसमें दावा किया […]

ढाका,। बांग्लादेश की सेना ने देररात दावा किया कि देश के खगराछारी के गुइमारा उपजिला में स्थिति नियंत्रण में हैं। हालांकि कुछ क्षेत्रों में अभी भी तनाव है। अशांति के मद्देनजर प्रभावित क्षेत्र में अर्ध बलों की टुकड़ी तैनात की गई हैं। सेना ने हालिया घटनाओं पर विस्तृत आधिकारिक बयान जारी किया। इसमें दावा किया गया है कि ‘मजहबी दंगा साजिश का नतीजा’ है।

ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, सेना ने कहा कि खगराछारी के गुइमारा उपजिला में शनिवार और रविवार को हुई हालिया हिंसा सोची-समझी साजिश का नतीजा है। बयान के अनुसार, 19 सितंबर को मोटरसाइकिल सवार मामून की हत्या के बाद तनाव बढ़ने लगा। इसके बाद, यूनाइटेड पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूपीडीएफ) और उसके सहयोगी संगठनों ने कथित तौर पर दिघिनाला और रंगमती में सांप्रदायिक अशांति भड़काने की कोशिश की। परिणामस्वरूप सुरक्षा बलों के साथ झड़पें हुईं। इन झड़पों में तीन लोगों की मौत हो गई और कई स्थानीय लोग घायल हो गए।

इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने बताया कि घटना के विरोध में यूपीडीएफ और उसके सहयोगियों ने चटगांव पहाड़ी क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर रैलियां आयोजित कीं। 23 सितंबर की रात खगराछारी के सिंगिनाला इलाके में एक स्कूली छात्रा के साथ दुष्कर्म के बाद यूपीडीएफ से जुड़े शायन शील को 24 सितंबर को सेना की सहायता से गिरफ्तार किया गया। इस पर यूपीडीएफ से संबद्ध पीसीपी नेता उखानु मर्मा ने “जुम्मा छात्र जनता” के बैनर तले खगराछारी में मानव शृंखला का आह्वान किया। 25 सितंबर को जिले में आधे दिन की हड़ताल हुई। बांग्लाभाषी समुदायों को निशाना बनाते हुए कई भड़काऊ और उत्तेजक बयान सोशल मीडिया में जारी किए गए।

सेना के अनुसार, इससे 26 सितंबर को खगराछारी में तनाव बढ़ गया। नाकेबंदी के दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने गश्त कर रहे सैन्यकर्मियों पर कथित तौर पर पत्थर और ईंटें फेंकी, जिससे तीन सैनिक घायल हो गए। उकसावे के बावजूद सेना ने बल प्रयोग से परहेज किया। शनिवार को यूपीडीएफ और उससे जुड़े समूहों ने कथित तौर पर तोड़फोड़ करके फिर से अशांति फैलाने की कोशिश की। इस अशांति ने कथित तौर पर पूरे खगराछारी नगर पालिका क्षेत्र में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगाड़ दी और सांप्रदायिक दंगे का रूप ले लिया। इसके जवाब में जिला प्रशासन ने खगराछारी और गुइमारा में धारा 144 लागू कर दी। रविवार को लोगों ने धारा 144 का उल्लंघन किया।

सुबह लगभग 10:30 बजे यूपीडीएफ कार्यकर्ताओं और स्थानीय बंगाली निवासियों के बीच झड़प हो गई। सेना के जवानों ने हस्तक्षेप किया तो उन पर हथियारों, ईंटों, गुलेलों और डंडों से हमला किया गया, जिसमें तीन अधिकारियों सहित 10 जवान घायल हो गए। इसके साथ ही, रामगढ़ क्षेत्र में सरकारी वाहनों में तोड़फोड़ की गई।लगभग 11:30 बजे, यूपीडीएफ (मुख्य) के सदस्यों ने कथित तौर पर गोलीबारी शुरू कर दी। रामसू बाजार के पश्चिम में एक पहाड़ी की चोटी से स्वचालित हथियारों से 100 से 150 राउंड फायरिंग की गई।

सेना के एक गश्ती दल ने सशस्त्र हमलावरों का पीछा किया तो यूपीडीएफ के अन्य कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर रामसू बाजार क्षेत्र में घरों में आग लगा दी। रामसू बाजार और गुइमारा में अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया गया है। शाम लगभग 4:30 बजे स्थिति नियंत्रण में आ गई।

सेना ने दावा किया कि हाल के दिनों में, यूपीडीएफ और उसके सहयोगी संगठन चटगांव पहाड़ी क्षेत्रों को अस्थिर करने के प्रयास में महिलाओं और स्कूली बच्चों को अपनी विध्वंसक गतिविधियों में शामिल होने के लिए व्यवस्थित रूप से मजबूर किया। सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के लिए देशी हथियारों से लैस बाहरी आतंकवादियों को लाने की कोशिश की गई। सेना ने कहा कि वह 19 सितंबर से रविवार के बीच हुई घटनाओं को एक बड़ी, सुनियोजित साजिश का हिस्सा मानती है।

द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकार, सांस्कृतिक और राजनीतिक समूहों ने खगराछारी में हुई हिंसा और मौत की घटनाों की तत्काल जांच कराने की मांग की है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश (टीआईबी) ने सवाल उठाया कि एक लड़की पर क्रूर हमले के बाद न्याय के लिए मांग में क्या अपराध है। संगठन ने घटना की व्यापक न्यायिक जांच और बलात्कारियों को कड़ी सज़ा देने की मांग की। कल जिले के गुइमारा उपजिला में एक स्कूली छात्रा के साथ बलात्कार के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान कम से कम तीन लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। टीआईबी के कार्यकारी निदेशक इफ्तेखारुज्जमां ने कहा, “मूल निवासी महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं आम बात हो गई हैं।”

बांग्लादेश महिला परिषद और बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद ने खगराछारी में हिंसा को रोकने की मांग की और सरकार से अपराधियों को गिरफ्तार करने, प्रभावित लोगों को मुआवजा देने और घायलों के लिए उचित इलाज सुनिश्चित करने का आह्वान किया। बांग्लादेश उदिची शिल्पीगोष्ठी ने हमलों से प्रभावित पीड़ित परिवारों के लिए उचित चिकित्सा देखभाल के साथ-साथ मुआवजे और पुनर्वास की मांग की। एक अन्य बयान में “नारीबाड़ी” के बैनर तले 84 महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने बलात्कार की घटना में शामिल लोगों के खिलाफ तत्काल मुकदमा चलाने और सजा की मांग की। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में खगराछारी में सात आदिवासी महिलाएं बलात्कार का शिकार हुई हैं। गणोसंहति आंदोलन ने इस घटना में “सेना और पुलिस की भूमिका” की जांच कराने की मांग की है।

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