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- उत्तर प्रदेश - वाराणसी

जीवन में परिवर्तन के लिए शिक्षा है, डिग्री के लिए नहीं: आनंदी बेन पटेल

–महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 47वें दीक्षान्त समारोह में बोली राज्यपाल -—हम सभी मिलकर कार्य करेंगे तो 2047 तक विकसित राष्ट्र ही नहीं बल्कि दुनिया के सिरमौर बनेंगे : प्रो. सरोज चूड़ामणि वाराणसी। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि जीवन में परिवर्तन के लिए शिक्षा है, डिग्री के लिए नहीं। […]

–महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 47वें दीक्षान्त समारोह में बोली राज्यपाल

-—हम सभी मिलकर कार्य करेंगे तो 2047 तक विकसित राष्ट्र ही नहीं बल्कि दुनिया के सिरमौर बनेंगे : प्रो. सरोज चूड़ामणि

वाराणसी। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि जीवन में परिवर्तन के लिए शिक्षा है, डिग्री के लिए नहीं। शिक्षा में डिग्री के साथ सबसे पहले कर्तव्यबोध एवं राष्ट्रबोध होना चाहिए।

राज्यपाल बीते सोमवार को सिगरा स्थित रूद्राक्ष कन्वेंशन सेन्टर में आयोजित महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 47वें दीक्षांत समारोह को सम्बोधित कर रही थी। समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम एवं मूल्यों पर स्थापित इस विश्वविद्यालय का यह 47वां दीक्षान्त समारोह है, यह गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि कर्तव्यनिष्ठ होना जीवन का लक्ष्य होना चाहिए, जो सीखा है उसका सदुपयोग करें। विद्यार्थियों की कक्षाओं में 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होनी चाहिए, 75 प्रतिशत से कम उपस्थिति पर विद्यार्थी को परीक्षा में नहीं बैठने दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि जब समय नहीं है तो पढ़ाई छोड़ दीजिए। तय समय पर ही परीक्षा होगी और इसमें कोई बदलाव नहीं किया जायेगा। ससमय परीक्षा एवं ससमय परिणाम सुनिश्चित करना है। हमें प्रबन्धन सीखना और सीखाना भी है। हमें अपने कार्यों का विश्लेषण करना चाहिए।

राज्यपाल ने कहा कि हमें स्वच्छता एवं पर्यावरण के प्रति जागरूक होना होगा, बिना जागरूकता के विकसित भारत का लक्ष्य पूर्ण नहीं होगा। प्राकृतिक आपदाओं पर चिंता जताते हुए कहा कि आपदाओं से बचने के लिए हमें शोध करने की आवश्यकता है, जिससे जनहानि कम-से-कम हो। कुलाधिपति ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन थर्ड जेंडर की शिक्षा के लिए बेहतर कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि अगले कुछ दिनों में काशी विद्यापीठ का ताइवान से एमओयू होगा।

समारोह में बतौर मुख्य अतिथि केजीएमयू की पूर्व कुलपति पद्मश्री प्रो. सरोज चूड़ामणि गोपाल ने कहा कि गुरु तभी सफल होता है जब विद्यार्थी अच्छे आचरण से शिक्षा ग्रहण करे। उन्होंने कहा कि युवा शक्ति दिव्य होती है, वह कुछ भी कर सकती है। हमें अच्छे संस्कारों के साथ कार्य करना होगा। हम सभी मिलकर कार्य करेंगे तो 2047 तक विकसित राष्ट्र ही नहीं बल्कि दुनिया के सिरमौर बनेंगे। हम पहले भी दुनिया के सिरमौर थे और अब भी बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम विज्ञान में आगे बढ़ रहे हैं तो विज्ञान के साथ अपनी मातृभूमि को भी याद करना होगा।

विशिष्ट अतिथि प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि आध्यात्मिक नगरी की गरिमा को आप छात्रों को आगे बढ़ाना है। आपको समाज में अपनी भूमिका तय करनी होगी। आपको डिग्री दिलाने में देश, सरकार और समाज का योगदान है। उन्हाेंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को बदला है। उन्होंने काशी की सूरत एवं सीरत बदल दी है। उन्होंने छात्रों से कहा कि उभरता भारत, विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत में अपना सहयोग प्रदान करें।

समारोह में प्रदेश की उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने कहा कि दीक्षान्त शिक्षा का अन्त नहीं बल्कि एक पड़ाव है, जिससे लक्ष्य के लिए आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि बेटियों का सामर्थ्य घर नहीं बल्कि देश की दिशा और दशा बनाने की है। देश के विकास में सबसे बड़ा सहयोग युवाओं का होगा। इसके पहले समारोह की शुरुआत में काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद त्यागी ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को बताया। दीक्षांत समारोह में 101 विद्यार्थियों (छात्र-27 एवं छात्रा-74) को कुल 103 स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। इस अवसर पर भारतरत्न डॉ. भगवानदास की प्रतिमा का ऑनलाइन अनावरण एवं दीक्षांत समारोह की स्मारिका का अनावरण राज्यपाल और उपस्थित विशिष्ट जनों ने किया।

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