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ग्रामीण विकास विभाग में फ़र्ज़ी दस्तावेज और मुहरों से फर्जीवाड़े का खेल, एक और एफआईआर दर्ज

शिमला,। हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण विकास विभाग में फर्जी दस्तावेज़ तैयार करने और झूठे हस्ताक्षर कर धोखाधड़ी का प्रयास करने का गंभीर मामला सामने आया है। इस संबंध में पुलिस थाना छोटा शिमला शिमला में एफआईआर दर्ज की गई है। मामला विभाग के निदेशक राघव शर्मा की शिकायत पर दर्ज हुआ है। शिकायत में कहा […]

शिमला,। हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण विकास विभाग में फर्जी दस्तावेज़ तैयार करने और झूठे हस्ताक्षर कर धोखाधड़ी का प्रयास करने का गंभीर मामला सामने आया है। इस संबंध में पुलिस थाना छोटा शिमला शिमला में एफआईआर दर्ज की गई है। मामला विभाग के निदेशक राघव शर्मा की शिकायत पर दर्ज हुआ है। शिकायत में कहा गया है कि विभाग के आधिकारिक पत्रों की जालसाज़ी की गई है, फर्जी मुहरों और झूठे हस्ताक्षरों का प्रयोग किया गया है और यहां तक कि एक फ़र्ज़ी सैंक्शन ऑर्डर भी तैयार कर लिया गया है।

शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि इन फर्जी दस्तावेज़ों की प्रतियां ग्रामीण विकास मंत्री को भी दिखाई गईं, लेकिन जब इन्हें विभागीय अभिलेखों में जांचा गया तो ये पत्र रिकॉर्ड में कहीं भी उपलब्ध नहीं पाए गए और पूरी तरह से फर्जी साबित हुए। आरोप है कि पूरा दस्तावेज़ी सेट विभागीय प्रणाली से बाहर बैठकर तैयार किया गया और इसमें झूठी मुहरों व फर्जी हस्ताक्षरों का इस्तेमाल कर विभाग को गुमराह करने की कोशिश की गई। छोटा शिमला पुलिस इस मामले की जांच में जुट गई है और आगामी दिनों में कई कर्मचारी भी जांच की जद में आ सकते हैं।

इसी तरह का मामला हाल ही में सामने आया था। लाहौल स्पीति के केलांग में तैनात एडीसी टू डीसी एवं एसडीएम लाहौल कल्याणी गुप्ता ने अपने फर्जी हस्ताक्षरों के दुरुपयोग को लेकर शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने बताया कि जून 2022 से 5 जुलाई 2025 तक वह ग्रामीण विकास निदेशालय शिमला में बतौर डिप्टी सीईओ (एचपीएसआरएलएम) कार्यरत थीं। 27 सितम्बर 2025 को उन्हें जानकारी मिली कि सितंबर 2025 तिथि वाले एक सेंक्शन ऑर्डर पर उनके हस्ताक्षर पाए गए हैं, जबकि उस अवधि में वह इस विभाग में सेवाएं ही नहीं दे रही थीं। शिकायत में कहा गया कि यह सेंक्शन ऑर्डर पूरी तरह फर्जी है, जिसके माध्यम से एक कंपनी के नाम पर 68,31,200 रुपये का आदेश जारी दिखाया गया है। इस पर उन्होंने थाना केलांग में जीरो एफआईआर दर्ज करवाई है। जिसे बाद में छोटा शिमला पुलिस थाना स्थानांतरित कर दिया गया था।

लगातार उजागर हो रहे इन दोनों मामलों ने ग्रामीण विकास विभाग की कार्यप्रणाली और दस्तावेज़ी सुरक्षा व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। विभागीय अभिलेखों की जालसाज़ी और भारी-भरकम रकम के फर्जी सेंक्शन ऑर्डर जारी होने से यह आशंका गहराती जा रही है कि कहीं यह एक संगठित गिरोह का काम तो नहीं। फिलहाल पुलिस इसकी तहकीकात में जुट गई है।

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