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(राउंड अप) हिमाचल में फिर से भारी बारिश का अलर्ट, भूस्खलन से पांच की मौत, प्रधानमंत्री ने किया राहत का ऐलान

शिमला, 9 सितंबर। हिमाचल प्रदेश में आगामी दिनों में एक बार फिर मौसम के तेवर बिगड़ेंगे औऱ मॉनसून के कड़े तेवर देखने को मिलेंगे। मौसम विभाग ने अगले दो दिन 10 व 11 सितम्बर को हल्की से मध्यम बारिश का पूर्वानुमान जताया है। विभाग के मुताबिक 12 सितम्बर को राज्य के कई जिलों में अंधड़ […]

शिमला, 9 सितंबर। हिमाचल प्रदेश में आगामी दिनों में एक बार फिर मौसम के तेवर बिगड़ेंगे औऱ मॉनसून के कड़े तेवर देखने को मिलेंगे। मौसम विभाग ने अगले दो दिन 10 व 11 सितम्बर को हल्की से मध्यम बारिश का पूर्वानुमान जताया है। विभाग के मुताबिक 12 सितम्बर को राज्य के कई जिलों में अंधड़ और आसमानी बिजली गिरने की संभावना है, जिसके लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है। यह चेतावनी ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा और सिरमौर जिलों के लिए जारी की गई है। वहीं 13 सितम्बर को ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी, शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों में भारी बारिश, अंधड़ और बिजली गिरने का येलो अलर्ट जारी हुआ है। 14 और 15 सितम्बर को भी मौसम खराब रहने का अनुमान है, हालांकि उन दिनों के लिए विभाग ने किसी तरह की चेतावनी नहीं दी है। बीते 24 घंटे में सोलन जिले के कसौली में सबसे अधिक 80 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई।

वहीं, कुल्लू जिला के निरमंड उपमंडल के शर्माणि गांव में सोमवार देर रात भूस्खलन की घटना सामने आई। भूस्खलन से दो मकान पूरी तरह जमींदोज हो गए और एक ही परिवार के पांच सदस्यों की मौके पर मौत हो गई। इनमें दो बच्चे भी शामिल हैं। मलबे में दबे तीन लोगों को घायल अवस्था में स्थानीय लोगों और प्रशासन की मदद से बाहर निकाला गया।

इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज हिमाचल के आपदा प्रभावित इलाकों में हुए नुकसान का हवाई सर्वेक्षण किया। उन्होंने हिमाचल के हालात पर कांगड़ा में एक समीक्षा बैठक भी की, जिसमें मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री ने यहां आपदा प्रभावितों के साथ भी मुलाकात कर उनका दर्द जाना। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने हिमाचल को आपदा से राहत के लिए 1500 करोड़ की वितीय मदद की घोषणा की।

इस बीच, बारिश और भूस्खलन के कारण प्रदेश में यातायात और जनजीवन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार मंगलवार शाम तक पूरे प्रदेश में 4 नेशनल हाइवे और 680 सड़कें यातायात के लिए बंद रहीं। इनमें कुल्लू जिले में एनएच-03 और एनएच-305 समेत 214 सड़कें बंद हैं। मंडी में 158, शिमला में 88, कांगड़ा में 44, चंबा में 48 और ऊना जिले में एनएच-30 समेत 22 सड़कें अवरुद्ध हैं। किन्नौर में एनएच-05 भी बंद पड़ा है।

सिर्फ सड़कों ही नहीं, बिजली और पानी की सप्लाई पर भी भूस्खलन का असर साफ दिखाई दे रहा है। अब तक 1202 बिजली ट्रांसफार्मर और 423 पेयजल योजनाएं ठप हैं। अकेले कुल्लू जिले में 708 ट्रांसफार्मर खराब हैं, जबकि मंडी में 282, सिरमौर में 78, शिमला में 52 और लाहौल-स्पीति में 51 ट्रांसफार्मर बंद पड़े हैं। पेयजल योजनाओं की बात करें तो शिमला में 134, कांगड़ा में 176 और मंडी जिले में 54 योजनाएं प्रभावित हुई हैं।

इस बार का मानसून हिमाचल के लिए भारी तबाही लेकर आया है। अब तक पूरे राज्य में 378 लोगों की जान जा चुकी है और 40 लोग लापता हैं। 437 लोग हादसों में घायल हुए हैं। सबसे ज्यादा मौतें मंडी जिले में 61 दर्ज हुई हैं। इसके अलावा कांगड़ा में 52, कुल्लू में 44, चंबा में 43, शिमला में 39, किन्नौर में 28, सोलन में 26, ऊना में 22, बिलासपुर और सिरमौर में 18-18, हमीरपुर में 16 और लाहौल-स्पीति में 9 लोगों की मौत हुई है।

मकानों और दुकानों को हुए नुकसान का आंकड़ा भी चौंकाने वाला है। अब तक 1237 मकान पूरी तरह ढह चुके हैं और 5319 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसके अलावा 469 दुकानें और 5469 गौशालाएं भी जमींदोज हो चुकी हैं। 1999 पशुओं और 26 हजार से अधिक पोल्ट्री पक्षियों की मौत हो चुकी है। प्रारंभिक आकलन के अनुसार प्रदेश को अब तक 4156 करोड़ रुपये की सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हुआ है।

मॉनसून सीजन के दौरान आपदाओं का सिलसिला लगातार जारी है। अब तक प्रदेश में 137 भूस्खलन, 97 बाढ़ और 45 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं।

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