👉 न तो डीपीआरओ और न जिला समन्वयक मनरेगा न जिला विकास अधिकारी कर रहे गाँवो के विकास कार्यो से सरकारी धनो के खर्चो का मिलान
मऊ। जिले के ग्राम प्रंचायतो का हाल बुरा है. गाँवो के अधिकांश विकास कार्य कागजो पर है तो उस पर खर्च धन ग्राम प्रधानों के सगे सम्बन्धियों के ब्यक्तिगत खातों तक पहुंच कर खुद के बिकास में जुटे है, अधिकारी मौन साधे कागजो के विकास कार्यो को सही और सच मानकर इस पर ग्राम प्रधानों और सचिवों के द्वारा चहेती सस्थाओ के नाम ग्राम पंचायत के खाते से आहरित धनो पर मौन साधने की नौकरी कर रहे है। ग्राम पंचायत अइलख और पिढवल, पीढ़उत सिंह पुर के ग्राम पंचायत में कराये गए विकास कार्यो और उस पर आई शिकायत एक वानगी भर है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार जिले के ग्राम पंचायतो में अधिकांश कार्य कागजो पर है और कागजो के माध्यम से सम्बंधित ग्राम पंचायतो के सचिव और ग्राम प्रधानों ने ग्राम पंचायतो के खाते से बड़ी रकम को हड़प लिया है. महात्मा गाँधी रोजगार गारंटी योजना की बात हो या फिर राज वित्त का, अधिकांश गाँवो के ग्राम सचिवों ने शासनादेश के बिपरीत जाकर सरकारी धनो की निकासी करने में ग्राम प्रधानों का सहयोग किया है।
ग्राम पंचायत अइलख और पिढौत सिंघपुर में हुए विकास कार्य एक वानगी भर है। पिढ़ौत सिंह पुर का हाल यह है कि यहाँ की ग्राम प्रधान सुशीला को ग्राम सचिव ने उनके नाम बने सरकारी डोंगल को न तो उनको दिया और न इसके बारे में उनको कभी जानकारी दी , ४ सितम्बर २०२५ से पहले तक ग्राम सचिव अपनी मर्जी से गांव में कागजो पर विकास कार्यो को दिखाते हुए अक्सर सरकारी धनो को सरकार के खाते से आहरित करता रहा।
कानाफूंसी में जब गाँव के विकास की चर्चा में ग्राम प्रधान सुशीला को अपने अधिकारों की जानकारी हुई तो ग्राम प्रधान द्वारा गाँवों में बिना उनकी मर्जी से कागजो पर हुए विकास कार्यो पर सवाल उठाते हुए ग्राम सचिव की शिकायत की गई. शिकायत के बाद से जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा सचिव का वचाव करते हुए जाँच को काफी दिनों तक दबाये रखा गया। सपथ पत्र के माध्यम से ग्राम प्रधान द्वारा की गई शिकायत के बावजूद जिला पंचायत राज अधिकारी ने ग्राम प्रधान से लिखित रूप से बयांन लिया और आज तक सचिव के बचाव में कार्यवाही को धरातल पर उतरने नहीं दिया। ग्राम पंचायत पिढवल की बात करे तो यहाँ भी हाल कागजो पर अधिक है यहाँ की खामियों को उजागर करने पर ग्राम प्रधान द्वारा ब्लॉक के एपीओ पर जान लेवा हमला किया गया।
अब बात की जाये ग्राम पंचायत अइलख की तो यहाँ के ग्राम प्रधान को बचाने में भाजपा के ऐसे नेताओ ने भी पैरवी की है जो खुद कभी ग्राम प्रधान रहते हुए लाखो की बंदरबांट का आरोप झेल रहे है। जाँच के नाम पर जाँच अधिकारियो ने भी कम खेल नहीं खेला समाचार दिए जाने तक ग्राम पंचायत की जाँच रिपोर्ट आज तक सार्वजानिक नहीं हुई है। गाँवो में कागजो पर हुए कार्यो को लेकर जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय कुछ बोलने को तैयार है और न जिला समन्वयक मनरेगा और न ही विकास अधिकारी, इन अफसरों की मौन साधना में गांवों का विकास लूटा जा रहा है.
