👉जाँच मे जाँच अधिकारियो ने नियमों कानून कायदो कों रखा ताक पर, फायर सेफ्टी का खुला उलंघन करने वाले अस्पताल भी बने वैध
मऊ(एफ आई नेटवर्क)। जिले मे इलाज के दौरान मे हुई चार मौतो के बाद शासन और प्रशासन द्वारा हॉस्पिटलो की कराई गईं जांच पूरी तरह से मनमाने तरीके से पदीय अधिकारों का दुरूपयोग करतें हुए की गईं है। जाँच मे 20 शैय्या वाले हॉस्पिटल और 50 शैय्या वाले हॉस्पिटलस की जो सूची जाँच के बाद जारी की गईं है वह, अस्पताल की भौतिक स्थिति का हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा पंजीकरण के दौरान सरकारी अभिलेखों मे सलग्न साक्ष्यों से बिना मिलान किये, मनमाने तौर पर जारी कि गईं है। मजे की बात तो यह है कि किसी भी सूची पर न तों सीएमओ के हस्ताक्षर है न विभागीय मुहर।

मुख्य चिकित्साधिकारी मऊ के द्वारा जिले बैध 20 शैय्या और 50 शैय्या के हॉस्पिटलो की जो सूची जारी की गईं है उसमे तमाम खामिया है। 20 शैय्या के अस्पतालो मे “सीएमओ” ने उन अस्पतालो के नाम का उल्लेख किया है जो 20 फिट, से भी कम, चौड़े मार्ग पर है, जिनसे अग्नि समन विभाग के वाहन आसानी से प्रवेश नहीं कर सकते है। 50 शैय्या वाले हॉस्पिटलो के मानक मे हॉस्पिटल कों कम से कम 36 फिट चौड़े रास्ते पर मौजूद होना उतना जरुरी है जितना उस हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेस्ट्रेशन जरुरी है। यही नहीं कम से कम 1000-1500 बर्ग मीटर एरिया मे बने 50 शैया होसोटल के लिए ओपेरेशन थिएटर, आई सी यूँ, आईसीसीयूँ, लेबर रूम, फार्मेसी लेबोरेटरी, महिलाओ और पुरुष के अलग अलग वार्ड के साथ फायर एग्जिट, इमरजेंसी सीढ़िया की आवश्यकता भी बताई गईं है।

फायर एनओसी, रजिस्ट्रेस्ट्रेशन तभी मिलेगा ज़ब पंजीकरण कों प्रस्तावित हॉस्पिटल तक पहुंच मार्ग 18 मीटर चौड़ा होगा।
सीएमओ द्वारा वैध हॉस्पिटलो की जारी की गईं सूची के अनुसार कोई भी हॉस्पिटल का पहुंच मार्ग 18 मीटर का नहीं है। 18 मीटर के चौड़े रास्ते के आभाव मे नियमानुसार फायर एनओसी जारी नहीं की जा सकती है।

उत्तर प्रदेश अग्नि निवारण एवं सुरक्षा अधिनियम के अनुसार मुख्य अग्नि सामन अधिकारी के द्वारा निर्माण के दौरान भवन के इंस्पेक्शन के बाद दी गईं फायर एनओसी के आधार पर ही हॉस्पिटल के भवन के नक्शे की स्वीकृति का क़ानून है। जिले के अधिकांश हॉस्पिटलो के नाम जारी अनापत्ति मे इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।
सीएमओ की सूची मे वैध अल्ट्रासाउंड सेंटरो के रेडीयोलॉजीस्ट का नाम नहीं

गुरुवार कों सीएमओ द्वारा जारी अल्ट्रासाउंड सेंटर्स, पैथोलॉजी सेंटर्स आदि की जारी सूची मे न तों पैथोलॉजीस्ट का नाम है नहीं रेडीयोलॉजीस्ट के नाम ही सार्वजनिक किये गए है। यह सूची आई एम ओ दफ्तर मे ब्याप्त भ्रष्टाचार का बड़ा सबूत है।

अल्ट्रासाउंड सेंटरो मे कुल कि कुल रजिस्टर्ड संख्या 71 बताई गईं है तों पैथोलॉजी कि संख्या 13 बताई गईं है। इस सूची मे न तों रेडियोलॉजीस्ट के नाम बताये गए है और न ही पैथोलॉजी। इनके पंजीकरण मे रेडीयोलॉजी और पैथोलॉजीस्ट के नाम का खेल है। एक ही पैथोलॉजीस्ट कई पैथोलॉजी पर रजिस्टर्ड है तों एक ही रेडीयोलॉजीस्ट कई रेडीयोलॉजी सेंट्रो पर पंजीकृत है। सी एम ओ ने इसी खेल कों जानबूझकर सर्वाजानिक नहीं किया है।

नोट :- सीएमओ ने समस्त सुचियों कों बिना हस्ताक्षर किये जारी किया है, यह भी सीएमओ मऊ की साजिस से कम नहीं देखा जा रहा है। सी एम ओ की यह सूची उनके द्वारा दी गईं है, कों सही मानकर प्रकाशित की जा रही है, आपत्ति पर हटाइ या फिर संशोधित की जा सकती है।

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मऊ मे सीएमओ ने सभी अबैध हॉस्पिटल प्रबंधनों से कागज ले, कर दिया पंजीकरण, अब नहीं कोई अबैध - firstinformations.com
September 12, 2025[…] […]