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मऊ मे सीएमओ ने अबैध हॉस्पिटल प्रबंधनों से कागज ले, कर दिया पंजीकरण, अब नहीं अबैध

–👉👉 पंजीकृत हॉस्पिटलो के द्वारा पंजीकरण मे लगाए गए दस्तावेज है फर्जी –👉👉 पंजीकरण के लिए अस्पताल प्रबंधन द्वारा दिए गए दस्तावेज और मौके की स्थिति मे है भारी अंतर –👉👉 अधिकांश हॉस्पिटल तक के पहुंच मार्ग 20 फिट की चौडाई से है कम तों सभी के भवन है मानक विहीन मऊ (एफआई नेटवर्क)। जिले […]


–👉👉 पंजीकृत हॉस्पिटलो के द्वारा पंजीकरण मे लगाए गए दस्तावेज है फर्जी


–👉👉 पंजीकरण के लिए अस्पताल प्रबंधन द्वारा दिए गए दस्तावेज और मौके की स्थिति मे है भारी अंतर


–👉👉 अधिकांश हॉस्पिटल तक के पहुंच मार्ग 20 फिट की चौडाई से है कम तों सभी के भवन है मानक विहीन

मऊ (एफआई नेटवर्क)। जिले मे इलाज के दौरान चार की मौत के बाद शासन द्वारा अबैध हॉस्पिटलो की जाँच मे अबैध हॉस्पिटलो कों बैध बनाने का विभागीय अधिकारियो ने जो खेल खेला उसमे अधिकांश अबैध बचे ही नहीं, जितने अबैध थे सभी कों जाँच अधिकारियो ने पंजीकरण मे लगाए साक्ष्यो और अस्पतालो के मौके की स्थिति से बिना मिलान किये बैध बना दिया। जिले मे स्वास्थ्य महकमे के द्वारा की गईं इतनी बड़ी आबिद कार्यवाही पर शासन से लेकर प्रशासन तक की चुप्पी इन अबैध हॉस्पिटलो इलाज के नाम पर लूट का लाइसेंस दें रही है।

बताते चले कि इलाज के दौरान चार लोगो की मौत के बाद जिले सांसद और ऊर्जा मंत्री तक ने अबैध हॉस्पिटलो की जाँच के लिए स्वास्थ्य मंत्री से जाँच का आग्रह किया था। स्वास्थ्य मंत्री ने जाँच का आदेश जारी किया और जाँच हुई भी, लेकिन जाँच अधिकारियो ने जिले मे जाँच के दौरान अबैध हॉस्पिटलो कों बैध बनाकर, जिले मे कोई अबैध हॉस्पिटल शेष छोड़ा ही नहीं, कार्यवाही जो हुई इसमें छोटे अबैध हॉस्पिटल जरूर शामिल रहे। इस जाँच के दौरान अखबारों ने भी खूब राजनीति की, पंजीकृत अबैध हॉस्पिटलो कों अख़बार नवीश बैध बनाने का काम किया।

खुद कों जान सरोकारी कहने वाला एक अख़बार भी, तथ्यों कों छुपाकर और कूट रचित दस्तावेजो के आधार पर पंजीकृत हॉस्पिटलो कों जनता के बींच उस अबैध हॉस्पिटलो कों बैध बताने का काम किया जिन हॉस्पिटलो के भवन नेशनल बिल्डिंग कोड 2005 और उत्तर प्रदेश बिल्डिंग बायलॉज के खिलाफ अधिकतम 10 से 20 फिट की गली मे मौजूद है।

खुद कों जनसरोकारी पत्रकारिता मे रखने वाला यह अख़बार भी, अबैध हॉस्पिटलो के अबैध पंजीकरण कों बैध मानते हुए उसकी अबैधता कों जानबूझकर दबाने का काम कर रहा है । फायर एंड सेफ्टी के नियमों मे यह स्पष्ट उल्लेख है कि.. 30 शैय्या के हॉस्पिटल तक के पहुंच मार्ग कम से कम से 18 मीटर चौड़े होंगे.. इससे काम होने पर संबंधित हॉस्पिटल कों अग्नि समन बिभाग से अनापत्ती प्रमाण पत्र जारी नहीं किये जायेंगे?

मजे की बात यह रही कि पंजीकरण के नाम पर जिन हॉस्पिटलो की अप्रत्यक्ष पैरवी मे रहा यह यह अख़बार वे सभी पंजीकृत अबैध हॉस्पिटल 15 से 20 तक चौड़े पहुंच मार्ग पर स्थित है।

कानूनन इन हॉस्पिटलो को अग्नि समन विभाग से न तों एन ओ सी मिलनी चाहिए और न ही इनका पंजीकरण होना चाहिए।

अखबार भी चर्चा मे, चहू ओर हो रही किरकिरी

इलाज के दौरान चार मौतो के बाद अबैध हॉस्पिटलो कों लेकर मुखर रहा एक अख़बार भी विभाग की मनमानियो के साथ खड़ा है। यह अख़बार शुरू से अबैध हॉस्पिटलो पर कार्यवाही कों लेकर जाँच पर जोर दिया तों वही इस अख़बार ने जिले मे अबैध तरीके से पंजीकृत अबैध हॉस्पिटलो से दुकानदारी चलाने के लिए, इनके जाँच पर कभी जोर नहीं दिया गया । अख़बार की ऐसी पत्रकारिता पर चारो तरफ सवालों का अम्बार है लोग अख़बार की रिपोर्टिंग पर सवाल किये जा रहे है

तथ्यों कों छुपाकर और कूट रचित दस्तावेजो के सहारे पंजीकरण कराकर बैध बने, अबैध हॉस्पिटलो कों यह अख़बार बैध मान रहा है तों विभागीय जाँच मे पहुंच कर कुछ अबैध हॉस्पिटलो के संचालको से सवालात कर, कार्यवाही मे एफ आई आर नहीं हो, की भी अप्रत्यक्ष पैरवी मे जोर दें रहा है। 17 दिनों मे 40 अबैध हॉस्पिटलो पर कार्यवाही का ढिढोरा पीटने वाला विभाग एक भी एफ आई आर दर्ज नहीं करा सका है जबकि अबैध हॉस्पिटलो का संचालन अपराध की श्रेणी मे आता है। अखबार के इस कृत्य से आज की तिथि मे बैध बने, अबैध हॉस्पिटलो की बल्ले बल्ले है।

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