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मऊ मे जाति बदलकर गोड़ जाति के अधिकांश कर रहे नौकरी, अफसर मौन

👉2 दिसम्बर 2024 को गोंड जाति के लिए जारी शासनादेश को गोड़ जाति के लोगो के द्वारा उसको गोड़ जाति के लोगो के लिए जारी बताया जा रहा हैं। 👉 फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के खेल मे गोड़ और गोंड मे जानबूझकर अंतर को नहीं कर रहे सार्वजनिक मऊ। गोड़ विरादरी केअधिकांश लोगो के द्वारा […]

👉2 दिसम्बर 2024 को गोंड जाति के लिए जारी शासनादेश को गोड़ जाति के लोगो के द्वारा उसको गोड़ जाति के लोगो के लिए जारी बताया जा रहा हैं।

👉 फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के खेल मे गोड़ और गोंड मे जानबूझकर अंतर को नहीं कर रहे सार्वजनिक

मऊ। गोड़ विरादरी केअधिकांश लोगो के द्वारा फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगा कर नौकरी किये जाने की खबर हैं। वर्ष 2003 के बाद सरकारी नौकरी हथियाये अधिकांश गोड़ विरादरी के लोगो के जाति प्रमाण पत्र फर्जी हैं। जिले मे दो लोगो को उनके विभाग ने घर बैठा दिया हैं। अधिकांश सरकारी नौकरी वाले अपने बचाव मे गोंड भी लिखना शुरू कर दिए हैं।

जिला जाति सत्यापन समिति की जाँच पड़ताल से रू-ब-रू हुए सूत्र ने नाम नही छापने की शर्त पर बताया कि जिले मे लेखपाल, ग्राम सचिव सहित कई विभागों मे गोड़ विरादरी के लोगो के द्वारा गोंड बिरादरी को जारी शासनादेश को गोड़ विरादरी के लिए जारी किया जाना बताकर हासिल किये गए अनुसूचित जाति जन जाति के जाति प्रमाण पत्र से सरकारी महकमो से नौकरी हथिया ली गईं हैं।

सरकार ने गोंड विरादरी के लोगो को जिनकी उपजातिया धुरिया, नायक, ओझा, पठारी, और राजगोंड हैं को लेकर पूर्व मे उन्हें अनुसूचित जनजाति मे शामिल करने आदि का आदेश जारी किया था। सरकार के इसी आदेश की आड़ मे गोड़ विरादरी के लोग जिनकी उपजाती कहार / भड़भुजा हैं, के अधिकांश लोगो ने राजस्व विभाग से मिलकर खुद को अनुसूचित जन जाति का बताकर, इसी जाति का प्रमाण पत्र बनाकर सरकारी नौकरी हथिया रखी हैं।

फर्स्ट इनफार्मेशन्स ने ज़ब इस बात को प्रमाणित करने के लिए जनपद मऊ मे लेखपाल और ग्राम सचिव के पद पर तैनात दो लोगो से बात कर वस्तुस्थिति से अवगत होना चाहा तों चौकाने वाले तथ्य सामने आये, सभी ने उसी शासनादेश को अपने पक्ष मे बताया जो गोंड विरादरी के ऐसे लोगो पर लागू होता हैं जो यूपी के 17 जनपदों मे मौजूद विरादरी गोंड हैं जिसकी उपजातियां धुरिया, नायक, ओझा, पठारी, और राजगोंड हैं।

बहरहाल सरकार को इस मामले को लेकर जिले मे मौजूद गोड़ विरादरी के सरकारी कर्मचारियों की सूची को न्यायहित और समाजहित मे सार्वजानिक करतें हुए, जाति प्रमाण पत्रों की जाँच की जानी चाहिए। फर्स्ट इनफार्मेशन्स भी न्यायहित और समाजहित मे जाँच की मांग करता हैं। जांच को जरुरी मानते हुए माननीय उच्च न्यायालय के अधिवक्ता ब्रह्मा नन्द पाण्डेय ने जिलाधिकारी से ऐसे लोगो को चिन्हित कर कार्यवाही के आग्रह के साथ जिले में गोड़ जाति के लोगो के द्वारा की जा रही नौकरी की सूचि भी न्यायहित और समाज हित में मांगी है . पोर्टल की छानबीन में अबतक कई ऐसे लोग सामने आये है जो ग्राम विकास, स्वास्थ्य . शिक्षा विभाग में गोंड जाति के जाति प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे है. शेष प्रमाणक के आभाव में उनके नामो का खुलासा नही किया जा रहा है .प्रमाणक मिलते ही उनके नामो का खुलासा किया जायेगा।

….सरकार के दो विभागों ने 2 लोगो को बैठाया घर

जिले के ऐसे दो लोगो को सरकार के दो विभागों ने शिकायत के बाद जाँच कर घर बैठा दिया हैं। ये दोनों लोग भी खुद को गोंड बताकर बनवाये गए फर्जी अनुसूचित जन जाति के प्रमाण पत्रों पर नौकरी कर रहे थे।

नलकूप विभाग घोसी मे तैनात रणजीत कुमार गोड़ ने भी अनुसूचित जान जाति के जाति प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे थे, शिकायत के बाद 5 जनवरी 2024 को विभाग ने उन्हें घर बैठा तों सर्वजीत कुमार गोड़ को भी पुलिस विभाग वाराणसी से वापस होना पड़ा।

दो लोगो ने नाम नही छापने की शर्त पर गोड़ विरादरी द्वारा गोंड के जातिप्रमाण पत्र पर नौकरी की की वकालत
मऊ। मऊ के ग्राम पंचायत इटैली निवासी एक सरकारी कर्मचारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर “फर्स्ट इनफार्मेशन” से बातचीट मे गोंड विरादरी को वर्ष 2024 मे 17 जनपदो के अनुसूचित जनजाति के निवासियों को अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र को जारी करने के फरमान मे जारी शासनादेश को लेकर गोड़ विरादरी के लोगो के द्वारा अनुसूचित जन जाति के प्रमाण पत्रों पर की जा रही सरकारी नौकरियों की खूब वकालत की गईं

ज़ब उनसे खुद उनके ही बारे मे सवाल किया गया तों उन्होंने बताया की 1356-1359 फसली के रिकॉर्ड मे उनकी जाति गोड़ लिखी हुई हैं, उन्होंने दिखाने से इंकार किया तों वही पर ग्राम पंचायत तरवाडीह मे मिले एक गोड़ विरादरी के ने भी इसी शासनादेश की आधार पर गोड़ विरादरी के द्वारा नौकरी करने की खूब वकालत किया गया . इनकी भी नियुक्ति 2005 की हैं और इन्होने अपनी उपजाती पूछने पर नहीं बताई। ग्राम पंचायत इतैली निवासी और सरकारी कर्मचारी और लेखपाल ने अपनी नियुक्ति और नियुक्ति दौरान लगाए गए जाति प्रमाण पत्रों सही जायज करार दिया।

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