रांची, 20 सितंबर । झारखंड की राजधानी रांची के खेलगांव स्थित टाना भगत इंडोर स्टेडियम में शुक्रवार को तीन दिवसीय ईस्ट टेक सिम्पोजियम 2025 (डिफेंस एक्सपो) का भव्य शुभारंभ हुआ। राज्यपाल संतोष गंगवार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, मुख्य सचिव अलका तिवारी सहित कई विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर इसका उद्घाटन किया।
उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि यह डिफेंस एक्सपो आत्मनिर्भर भारत के उस संकल्प का प्रतीक है, जिसमें देश की शक्ति, सामर्थ्य और स्वाभिमान समाहित है। पूर्वी भारत में इस प्रकार की रक्षा प्रदर्शनी का आयोजन औद्योगिक विकास, नवाचार और रक्षा उत्पादन में सहयोग की नई दिशाएं खोलेगा।
भारत अब उत्पादक और निर्यातक देश बन चुका है- राज्यपाल उन्होंने कहा कि भारत अब रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एक उपभोक्ता नहीं, बल्कि उत्पादक और निर्यातक देश बन चुका है। भारत के रक्षा उत्पाद अब कई देशों में निर्यात किए जा रहे हैं और रक्षा निर्यात एक लाख 27 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।
राज्यपाल ने कहा कि चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग और सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य एल-1 मिशन भारत की वैज्ञानिक एवं तकनीकी क्षमता का प्रमाण है। साथ ही ऑपरेशन सिंदूर जैसी आंतकवाद के विरुद्ध कार्रवाईयां भारत की रणनीतिक दक्षता और मानवीय मूल्यों का परिचायक हैं। उन्होंने ईस्ट टेक सिम्पोजियम 2025 (डिफेंस एक्सपो) ऐतिहासिक कदम बताते हुए केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ को बधाई दी और कहा कि यह केवल एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि भारत की बढ़ती शक्ति, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। राज्यपाल ने आशा व्यक्त की कि ‘ईस्टटेक 2025’ उद्योगों, स्टार्टअप्स और शोध संस्थानों के लिए नये अवसर खोलेगा।
देश को आत्मकनिर्भर बनाने के लिए केंद्र का करेंगे सहयोग : मुख्यमंत्री
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड यूरेनियम से संपन्न है, लिहाजा परमाणु हथियार निर्माण में अहम भूमिका निभा सकता है। राज्य सरकार रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में केंद्र सरकार के साथ पूर्ण सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन अपने आप में विशिष्ट है, जिसमें रक्षा क्षेत्र के कई नए आयाम जोड़ने की पहल की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में उद्योग विस्तार की असीम संभावनाएं हैं। यहां रक्षा क्षेत्र में उपयोग होने वाले रॉ-मैटेरियल प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यहां कई बड़े-बड़े उद्योग संस्थान स्थापित हुए हैं। कई छोटे-बड़े उद्योग यहां पले-बढ़े हैं। कई बार गलत नीति निर्धारण के कारण कुछ चीजें समाप्त होती नजर आती हैं। हम सभी लोग ये जानते हैं कि एचईसी जैसा उद्योग संस्थान रांची में स्थापित है। इस संस्थान के सहयोग से देश के भीतर कई अन्य औद्योगिक संस्थाएं आगे बढ़ी हैं। एचईसी सेटेलाइट और परमाणु कॉम्पोनेंट्स बनाने में भी अहम भूमिका निभाता रहा है। लेकिन आज एचईसी की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, यह जानकर काफी तकलीफ होती है। आखिर किस वजह से इतना बड़ा उद्योग संस्थान आज उम्मीद के अनुरूप खरा नहीं उतर पा रहा है।
रोजगार के साथ सैन्य क्षेत्रों में युवाओं की बढ़ेगी भागीदारी: संजय सेठरक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा कि रक्षा क्षेत्र हाल के सालों में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और स्टार्टअप ने रुचि दिखाई है। आंकड़ों के मुताबिक करीब 16 हजार एमएसएमई अपने स्वदेशी उत्पादों के साथ सैन्य उपकरण बनाने में महती भूमिका निभा रहे हैं। इसी तरह से एक हजार से अधिक स्टार्टअप, डिफेंस अकादमी से जुड़े हैं। आत्मनिर्भर भारत के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है और आने वाले समय में हम रक्षा उत्पाद से जुड़े 50 हजार करोड़ रुपए तक का निर्यात करने वाले हैं, इससे न केवल रोजगार बढ़ेगा, बल्कि सेना में युवाओं की भागीदारी और रुचि भी बढ़ेगी।
युद्ध को जीतने के लिए स्वदेश हथियारों की जरूरत: सीडीएस
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि बदलती वैश्विक चुनौतियों को देखते हुए अंतरिक्ष और साइबर युद्ध से जुड़े उपकरणों के विकास के लिए नीतिगत पहल की जा रही है। हथियारों का रणनीतिक चयन सर्वोपरि है और आधुनिक युद्ध की आवश्यकताओं के अनुरूप अनुसंधान एवं विकास की समीक्षा की जानी है। उन्होंने कहा कि रक्षा विनिर्माण आधार का विस्तार करने की आवश्यकता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अन्य अधुनिक तकनीकों का पता लगाना होगा।
सीडीएस ने कहा कि आज के समय में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नई-नई चुनौतियां सामने आ रही हैं। ऐसे में नई सोच, नई तकनीकी और नए उपकरण की जरूरत है। यदि हमें युद्ध में जीत हासिल करनी है, तो अपने देश में निर्मित हथियार का उपयोग करना होगा। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में नए उपकरण और तकनीक का इस्तेमाल किए जाने की सराहना करते हुए कहा कि कल जो है, वह कल ही आएगा, इसका मतलब है वह कभी नहीं आएगा, इसलिए जो करना है वह अभी करना है।
प्रदर्शनी में पहुंचे हैं 200 से अधिक प्रदर्शक
भारतीय निर्माताओं की व्यापक भागीदारी के साथ इस प्रदर्शनी में एमएसएमई, डीपीएसयू, डीआरडीओ प्रयोगशालाएं, निजी रक्षा कंपनियों और देशभर के विभिन्न स्टार्ट-अप्स को मिलाकर कुल 200 से अधिक प्रदर्शक शामिल हैं। इन संस्थानों ने अपने नवीनतम नवाचारों और तकनीकों को प्रदर्शित करने के लिए स्टॉल लगाए हैं।
व्यावसायिक रूप से उपलब्ध (सीओटीएस) और अत्याधुनिक समाधानों के प्रदर्शन के माध्यम से ईस्ट टेक-2025 सहभागी हितधारकों के ज्ञान को समृद्ध करेगा। यह आयोजन फील्ड डिप्लॉयमेंट के लिए उपयुक्त तकनीकों की पहचान, खरीद और रखरखाव प्रक्रियाओं के सरलीकरण एवं भारतीय सेना के लिए एक टिकाऊ और आत्मनिर्भर रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण को बढ़ावा देने की दिशा में भी अहम भूमिका निभाएगा।
दरअसल, बदलती वैश्विक चुनौतियों को देखते हुए अंतरिक्ष और साइबर युद्ध से जुड़े पूर्वी कमान और सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित यह प्रदर्शनी अत्याधुनिक स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के प्रदर्शन और एकीकरण का एक महत्वपूर्ण मंच है, जिसका उद्देश्य पूर्वी थिएटर और भारतीय सेना के विभिन्न अभियानों से जुड़ी चुनौतियों को पार करना है।——–
