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सुप्रीम कोर्ट ने बिहार एसआईआर में हटाए गए 3.66 लाख मतदाताओं का विवरण मांगा

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने निर्वाचन आयोग को बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान वोटर लिस्ट से हटाए गए 3 लाख 66 हजार मतदाताओं का विवरण देने का निर्देश दिया है। उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे उन लोगों की जानकारी इकट्ठा कर लाएं, […]

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने निर्वाचन आयोग को बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान वोटर लिस्ट से हटाए गए 3 लाख 66 हजार मतदाताओं का विवरण देने का निर्देश दिया है। उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे उन लोगों की जानकारी इकट्ठा कर लाएं, जिनका नाम बिना कारण बताए काटा गया है। मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जिनका नाम वोटर लिस्ट से हटाया गया है, उन्हें नहीं बताया गया कि उनका नाम कटा है और क्यों काटा गया है। तब निर्वाचन आयोग के वकील ने कोर्ट को बताया कि आज तक किसी ने भी निर्वाचन आयोग के पास कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है। सिर्फ दिल्ली के कुछ व्यक्तियों और एडीआर ने यह मामला उठाया है, जिनका चुनाव से कोई सीधा संबंध नहीं है। सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता के वकीलों से पूछा कि विशेष गहन पुनरीक्षण से प्रभावित लोग कहां हैं। तब याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि मैं सौ ऐसे लोगों को ला सकता हूं। आपको कितने लोग चाहिए। मैं पहले भी ऐसा कर चुका हूं। तब जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति वास्तव में पीड़ित है और वह आता है, तो हम निर्वाचन आयोग को निर्देश दे सकते हैं।

उच्चतम न्यायालय ने 8 सितंबर को निर्वाचन आय़ोग को निर्देश दिया था कि वो बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए 12वें दस्तावेज के रुप में आधार कार्ड को स्वीकार करें। दरअसल, सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि यह तय होना चाहिए कि आधार कार्ड विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए स्वीकार है या नहीं। तब जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था कि आप क्या चाहते हैं। आप चाहते हैं कि आधार को नागरिकता के लिए पहचान पत्र माना जाए । तब सिब्बल ने कहा था कि नहीं। बीएलओ नागरिकता तय नहीं कर सकते। हम चाहते हैं कि आधार को विशेष गहन पुनरीक्षण में पहचान के रूप में स्वीकार किया जाए ताकि मतदाता मतदान कर सकें।

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