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शिमला में अधिकारी के फ़र्ज़ी हस्ताक्षर से बना दिया सैंक्शन ऑर्डर, एफआईआर

शिमला, । हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में सरकारी दस्तावेज़ों से जुड़े जालसाजी का मामले सामने आया है। एक अधिकारी के फ़र्ज़ी हस्ताक्षर कर सरकारी विभाग में फंड से सम्बंधित स्वीकृति आदेश तैयार कर दिए गए। मामले का खुलासा होने पर अधिकारी ने पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई। लाहौल-स्पीति जिला के मुख्यालय केलांग में तैनात […]

शिमला, । हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में सरकारी दस्तावेज़ों से जुड़े जालसाजी का मामले सामने आया है। एक अधिकारी के फ़र्ज़ी हस्ताक्षर कर सरकारी विभाग में फंड से सम्बंधित स्वीकृति आदेश तैयार कर दिए गए। मामले का खुलासा होने पर अधिकारी ने पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई। लाहौल-स्पीति जिला के मुख्यालय केलांग में तैनात एसी टू डीसी कल्याणी गुप्ता ने पुलिस में शिकायत दी है कि उनके नाम और हस्ताक्षर का दुरुपयोग करते हुए एक सरकारी पत्र में जालसाजी की गई है। मामले की एफआईआर लाहौल-स्पीति जिला के केलांग पुलिस थाना में दर्ज हुई है। लेकिन मामला शिमला से जुड़ा होने के कारण इसे छोटा शिमला पुलिस थाना में स्थानांतरित किया गया है।

शिकायतकर्ता कल्याणी गुप्ता वर्तमान में केलांग में बतौर एसी टू डीसी तैनात हैं और साथ ही वह परियोजना अधिकारी आईटीडीपी व एसडीएम लाहौल का अतिरिक्त कार्य भी देख रही हैं। उन्होंने 7 जुलाई, 2025 को यह पदभार संभाला था। इससे पहले वह जून 2022 से 5 जुलाई, 2025 तक ग्रामीण विकास विभाग शिमला में हिमाचल प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन में डिप्टी सीईओ के पद पर कार्यरत थीं। शिकायतकर्ता के अनुसार घटना का खुलासा 27 सितम्बर को हुआ, जब ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक ने उन्हें सूचित किया कि विभाग के पास एक “स्वीकृति आदेश” प्राप्त हुआ है, जिस पर उनके हस्ताक्षर अंकित हैं। इस दस्तावेज़ की तारीख सितम्बर 2025 की है। जबकि यह स्पष्ट है कि उस समय तक कल्याणी गुप्ता ग्रामीण विकास विभाग से स्थानांतरित होकर केलांग में कार्यभार संभाल चुकी थीं। इस तरह उस दस्तावेज़ पर उनके हस्ताक्षर होना संदिग्ध और अवैध प्रतीत हुआ। कल्याणी गुप्ता ने जब दस्तावेज़ देखा तो पाया कि उसमें उनके नाम और हस्ताक्षर की फर्जी नकल की गई है। यह कथित फर्जी दस्तावेज़ किसी व्यापारी अथवा व्यक्ति को अनुचित लाभ पहुंचाने और सरकारी धन के दुरुपयोग के उद्देश्य से तैयार किया गया है। आशंका व्यक्त की जा रही है कि ऐसा केवल एक दस्तावेज़ तक सीमित नहीं है, बल्कि और भी फर्जी दस्तावेज़ तैयार किए गए हो सकते हैं।

पुलिस द्वारा एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराएँ 318(4), 335, 336(1), 336(2), 336(3), 336(4), 340(1) और 340(2) लगाई गई हैं। सरकारी दस्तावेज़ों में इस तरह की जालसाजी को बेहद गंभीर अपराध माना जाता है, क्योंकि इनके माध्यम से सरकारी धन के ग़लत इस्तेमाल की आशंका रहती है। इसी कारण पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। फिलहाल यह साफ़ नहीं हो पाया है कि जालसाजी के पीछे कौन लोग शामिल हैं और किसे सीधा लाभ पहुँचाने की कोशिश की गई।

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सभी पहलुओं की गहनता से पड़ताल की जा रही है। पुलिस इस दिशा में भी छानबीन कर रही है कि क्या शातिरों ने पहले भी ऐसे दस्तावेज़ तैयार किए हैं।

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