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कांग्रेस ने पूछा- क्या आम जनता को जीएसटी दर कटौती का लाभ मिल पाएगा?

नई दिल्ली, 6 सितंबर । केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी दरों में कटौती के फैसले के बाद कांग्रेस ने कारपोरेट कंपनियों की मुनाफाखोरी रोकने की जरूरत पर बल देते हुए सवाल किया है कि क्या इसका लाभ वास्तव में आम लोगों तक पहुंचेगा? कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर जीएसटी […]

नई दिल्ली, 6 सितंबर । केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी दरों में कटौती के फैसले के बाद कांग्रेस ने कारपोरेट कंपनियों की मुनाफाखोरी रोकने की जरूरत पर बल देते हुए सवाल किया है कि क्या इसका लाभ वास्तव में आम लोगों तक पहुंचेगा?

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर जीएसटी में कार्पोरेट कंपनियों की मुनाफाखोरी रोकने और आम आदमी को फायदा पहुंचाने के लिए बनाए गए राष्ट्रीय मुनाफाखोरी निरोधक प्राधिकरण (एनएए) को खत्म करने का जिक्र करते हुए सरकार से कम हुई दरों का लाभ आम लोगों तक पहुंचाने की मांग की। उन्होंने सरकार से इसके लिए ठोस कदम उठाने की मांग की, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि राहत आम जनता तक पहुंचे, न कि केवल कुछ खास लोगों तक सीमित रहे।

जयराम रमेश ने कहा कि केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 171 के तहत एनएए की स्थापना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जीएसटी दरों में कटौती से उपभोक्ता कीमतों में कमी आए और कॉर्पोरेट कंपनियों की मुनाफाखोरी पर अंकुश लगे। हालांकि, 30 सितंबर, 2024 को केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर 1 अप्रैल, 2025 से एनएए को लगभग समाप्त कर दिया।

रमेश ने कहा कि एनएए के समाप्त होने के बाद अब यह कैसे सुनिश्चित होगा कि जीएसटी दरों में कटौती का लाभ आम लोगों तक पहुंचे। क्या एनएए को नया जीवन मिलेगा या सरकार कोई अन्य व्यवस्था करेगी?

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 171 के तहत, व्यवसायों को जीएसटी दरों में कटौती या इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाना अनिवार्य था। इसके लिए राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (एनएए) की स्थापना 2017 में की गई, जो 2022 तक सक्रिय रहा। इस दौरान एनएए ने हिंदुस्तान यूनिलीवर, ज्यूबिलेंट फूडवर्क्स और मैकडॉनल्ड्स जैसी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की। हालांकि 2022 में एनएए को समाप्त कर दिया गया और 1 अक्टूबर, 2024 से मुनाफाखोरी के मामले जीएसटी अपीलीय ट्रिब्यूनल (जीएसटीएटी) को सौंपे गए। 1 अप्रैल, 2025 से मुनाफाखोरी की शिकायतें स्वीकार करना बंद कर दिया गया, क्योंकि सरकार का मानना है कि जीएसटी प्रणाली स्थिर हो चुकी है। हालांकि, उपभोक्ताओं का अनुभव बताता है कि कॉरपोरेट्स कर छूट का लाभ देने के बजाय मुनाफा बढ़ा रहे हैं। केरल के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल और उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने हाल ही में जीएसटी काउंसिल की बैठक में मुनाफाखोरी पर चिंता जता चुके हैं।

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