👉 पंजीकृत अस्पतालो कों बैध मान रहे जाँच अधिकारी ज़ब कि पंजीकरण दौरान तथ्यों का छुपाव और कूट रचित दस्तावेज है, बैध हॉस्पिटलो के आधार
👉 बड़े अबैध अस्पतालो मे राहुल हॉस्पिटल इकलौता नहीं है. जो कभी भी बैध नहीं रहा, शुरुआत विभागीय अफसरों की कृपा से रिहायसी भवन मे हुई…
मऊ। जिले मे अबैध हॉस्पिटलो की जाँच मे पंजीकृत हॉस्पिटलो के द्वारा पंजीकरण के दौरान कूटरचित साक्ष्यो कों लगा कर पंजीकरण करा कर बैध बने निजी नर्सिंग होम व अस्पतालो के बचाव जाँच अधिकारियो के इन हॉस्पिटलो कों बैध मानकर जाँच नहीं करने की मनमानी की खबर है। ऐसी मनमानी से जिले मे तथ्यों को छुपाकर और कूट रचित दस्तावेजो कों सरकारी अभिलेख मे लगाकर पंजीकरण कराने वाले अबैध हॉस्पिटलो की संख्या कम नहीं है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार जिले के अबैध हॉस्पिटलो मे चार लोगो की मौत के बाद हरकत मे आये प्रसाशन और शाशन के द्वारा कराई जा रही जाँच, अबैध हॉस्पिटलो पर बे असर साबित हो रही है। जाँच अधिकारियो के द्वारा जिले मे पंजीकृत 32 निजी नर्सिंग होमो के द्वारा तथ्यगोपान और कूट रचित दस्तावेजो के माध्यम से कराये गए पंजीकरण कों जाँच अधिकारी इन बड़े अबैध हॉस्पिटलो के बचाव मे जानबूझकर जाँच नहीं कर रहे है जबकि पंजीकरण के दौरान अधिकांश पंजीकृत हॉस्पिटलो के द्वारा आवेदन के साथ पूरी की गईं औपचारिकताओ मे बतौर सलग्नक तथ्यकूट रचित है तो तथ्यों कों भी केवल पंजीकरण कों लक्ष्य बनाकर छुपा कर कराया गया है।
विभागीय अफसरों कों इन तथ्यों की जानकारी है लेकिन जाँच अधिकारियो के द्वारा जानबूझकर इन तथ्यों की जाँच नहीं कीजा रही है। जाँच अधिकारियो की इस मनमानी से जाँच अपने लक्ष्य कों प्राप्त नहीं हो रही है और जाँच के बाद भी जिले मे अबैध हॉस्पिटलो की भरमार रहेगी। पंजीकृत किसी भी हॉस्पिटल का भवन मानकर के बिपरीत है।
जमीने या तो “नान जेड ए” की है और इन जमीनों कों अविधिपूर्ण तरीके से” जेड ए “कराकर अविधिपूर्ण तरीके से कब्जा किया गया है। जिस भवन मे हॉस्पिटल का संचालन होता है, उस भवन के नक्शे दो खंडो मे तथ्यों कों छुपाकर पास कराये गए है तो ऐसे भी हॉस्पिटल है जो रेल के डिब्बे जैसी जमीन मे बने रिहायसी भवन मे संचालित होते है, यही नहीं ऐसे भी हॉस्पिटल है जिनके पास कोई फिक्स चिकित्स्कों नहीं है, जिसको स्थाई कहा जाए, तैनात है। एक हॉस्पिटल के प्रबंधक का जो खुद कों भी “डाक्टर” कहता है, उसकी डिग्री की यदि जाँच कर दिया जाये तो उसका घर जेल बन जाएगा। इन सभी तथ्यों की शासन से आई जाँच टीम जानबूझकर जांच नहीं कर रही है।
नगर का राहुल हॉस्पिटल एक बानगी भर है, जिसकी जमीन “नान जेड ए” और “जेड ए” दोनों मे दर्ज है और भवन नक्शा नेशनल बिल्डिंग कोड के खिलाफ निर्मित होने के बावजूद पदीय अधिकारों का दुरूपयोग करतें हुए सीएफओ ने अनापत्ती प्रमाण पत्र दें रखा है. वर्ष 2015 के दौरान का अनापत्ती प्रमाणात पत्र भी फर्जी है। कई ऐसे है हॉस्पिटल भी है जिनका आज तक नक्शा पास नहीं है लेकिन हॉस्पिटल वर्षो से संचालित होता है।
एक हॉस्पिटल ऐसा भी जिसको मा उच्च न्यायालय के आदेश पर बंद कराया गया लेकिन विभागीय अफसरों की कृपा से वह पुराने राहुल हॉस्पिटल के भवन मे आज भी संचालित होता है।
