सावधान! फर्जी प्रमाण-पत्र पर छपे बारकोड को स्कैन करने पर नवजात बच्चे या मृतक व्यक्ति का नाम, पता व डेट आदि जानकारियां लगभग सही होती है, लेकिन नवजात का जन्मस्थान या मृतक का मृत्यु स्थान या अस्पताल का नाम फर्जी होता है, जो उस संस्थान द्वारा जारी ही नहीं होता है।
मुहम्मदाबाद गोहना (मऊ)। भाजपा के वर्तमान शासन काल में फर्जीवाड़े का कारोबार खूब फलफूल रहा है। जिसे लेकर अनपढ़ व गरीब आमजन की परेशानियाँ काफी बढ़ गई हैं। हाल ही में मऊ जिले में फ़र्जी जन्म व मृत्यु प्रमाण-पत्र बनाने की कई घटनायें प्रकाश में आई है।
बताते चलें कि मऊ जनपद के अन्तर्गत तहसील मुहम्मदाबाद गोहना में इन दिनों फ़र्जी जन्म व मृत्यु प्रमाण-पत्र बनाने की कई घटनायें घटित हुई है। जिसमें पहली घटना तहसील मुहम्मदाबाद गोहना के देवलाश के समीपस्थ ग्राम सियाबस्ती की है। उक्त गांव की रहने वाली लक्ष्मीना राजभर पत्नी सनोज राजभर नाम की एक महिला अपने दो छोटे बच्चों अंश व दिपांशु का आधार कार्ड बनवाने उप डाकघर मुहम्मदाबाद गोहना आई थी।
उसके पास दोनों बच्चों का जन्म प्रमाण-पत्र था। डाक विभाग के कर्मचारियों ने चेक करके बताया कि बड़े बच्चे का जन्म प्रमाण-पत्र सही है और छोटे बच्चे का जन्म प्रमाण-पत्र फर्जी है। इसे सुनकर वह सन्न रह गई और उसके एक भी बच्चे का आधार कार्ड नहीं बन पाया। उसने बताया कि उसने अपने बच्चों का जन्म प्रमाण-पत्र तहसील से बनवाया था।
दूसरी चौकाने वाली घटना भी इसी तहसील से प्रकाश में आई है।
जो चिरैयाकोट थाना के अन्तर्गत ग्राम-पचिश्ता मोलनापुर (सचुई) की है। जिसमें पचिश्ता मोलनापुर गाँव के कुछ गरीब दलित परिवार के लोग भी लगभग तीन-चार महीने पहले अपने मृतक परिजनों का मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाने तहसील मुहम्मदाबाद गोहना गये और वहाँ अपने को वकील बताने वाले दलालों के चंगुल में फंस गये और दलालों ने उन्हें उनके मृतकों का फर्जी मृत्यु प्रमाण-पत्र बनाकर थमा दिया और पैसा लेकर फरार हो गए।
ज्ञातव्य हो कि ये दलाल बड़े शातिर अन्दाज में ऐसे अनपढ़, गरीब लोगों को अपने जाल में फंसा लेते हैं और उनसे उनके नवजात बच्चे की जन्मतिथि या फिर मृतक की मृत्यु तिथि व स्थान आदि पूछकर नोट कर लेते हैं, फिर उसी दिन या दूसरे दिन बुलाकर फर्जी जन्म व मृत्यु प्रमाण-पत्र पकड़ा देते हैं। लेकिन इन साइबर क्राइम के अपराधियों की एक खाशियत यह है कि यह जो फ़र्जी प्रमाण-पत्र अपने शिकार रूपी ग्राहक को देते हैं, उसे साधारण बुद्धि का व्यक्ति नहीं पकड़ सकता है। क्योंकि कोई भी व्यक्ति उस प्रमाण-पत्र पर छपे बारकोड को जब स्कैन करता है, तो उसपर उस व्यक्ति का नाम, पता व डेट आदि जानकारियां लगभग सही होती है। उसमें एक बड़ी गलती को उनके द्वारा की जाती है, वह यह है कि वह नवजात का जन्मस्थान या मृतक का मृत्यु स्थान या संस्थान या अस्पताल का नाम फर्जी दिखा देते हैं। जो उस संस्थान द्वारा निर्गत नहीं होता है।
इस प्रकार फर्जी जन्म प्रमाण-पत्र और फ़र्जी मृत्यु प्रमाण-पत्र लेकर अनपढ़ व गरीब जनता आये दिन परेशान हो रही है और जनपद मऊ में अवैध व फ़र्जी प्रमाण-पत्रों का गोरखधन्धा खूब धड़ल्ले से फैल रहा है। ऐसे जनपद मऊ के अधिकारियों को इस गोरखधन्धे से लोगों को निजात दिलाने हेतु सक्रिय पहल करनी चाहिए अन्यथा अनपढ़ व गरीबों की परेशानियां कम नहीं होंगी।
