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आपातकाल में प्रेस का गला घोंटा गया, नागरिक अधिकारों का हनन हुआ: उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक

– लोकतंत्र सेनानियों को किया गया सम्मानित लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र पर लगा सबसे काला धब्बा था, जब नागरिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को पूरी तरह कुचल दिया गया। उन्होंने कहा कि उस दौर में प्रेस का गला घोंट दिया गया, यातनाओं की पराकाष्ठा हो […]

– लोकतंत्र सेनानियों को किया गया सम्मानित

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र पर लगा सबसे काला धब्बा था, जब नागरिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को पूरी तरह कुचल दिया गया। उन्होंने कहा कि उस दौर में प्रेस का गला घोंट दिया गया, यातनाओं की पराकाष्ठा हो गई थी और किसी को बोलने या आने-जाने की आजादी नहीं थी।

उपमुख्यमंत्री पाठक लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में हिन्दुस्थान समाचार बहुभाषी न्यूज एजेंसी द्वारा आयोजित ‘आपातकाल के 50 वर्ष’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर ‘युगवार्ता’ और ‘नवोत्थान’ पत्रिकाओं के विशेषांक का लोकार्पण किया गया।

पाठक ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को कठपुतली बनाकर राष्ट्रपति से हस्ताक्षर जबरन कराए। उन्होंने कहा, “जो लोग आज संविधान की प्रतियां लेकर घूमते हैं, वही उस दौर में संविधान की हत्या के जिम्मेदार हैं।” उन्होंने कहा कि आज भारत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकसित राष्ट्र बनने के संकल्प की ओर तेजी से बढ़ रहा है। भाजपा वोट की राजनीति नहीं, बल्कि ‘राष्ट्र प्रथम’ के सिद्धांत पर कार्य करती है।

परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों ने जिस साहस से आपातकाल में संविधान की रक्षा की, उसी का परिणाम है कि आज देश में लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जीवित है। उन्होंने कहा कि आपातकाल भारतीय राजनीति के इतिहास का अमिट कलंक है।

पूर्व मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सिर्फ अपनी सत्ता बचाने के लिए पूरे देश पर आपातकाल थोप दिया। उन्होंने कहा कि “जिस देश के युवाओं ने आज़ादी के लिए फांसी के फंदे को चूमा, उसी देश की आज़ादी को सत्ता की लालच में कुचल दिया गया।” राणा ने युवाओं से आग्रह किया कि वे लोकतंत्र की उस लड़ाई के इतिहास को जानें और उसे आगे बढ़ाएं।

इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों ने 11 लोकतंत्र सेनानियों को अंगवस्त्र, शंख और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। सम्मानित होने वालों में भारत दीक्षित, राजेन्द्र तिवारी, मनीराम पाल, भानु प्रताप, गंगा प्रसाद, रमाशंकर त्रिपाठी, दिनेश प्रताप सिंह, दिनेश अग्निहोत्री, अजीत सिंह, विश्राम सागर और सुरेश रजवानी शामिल रहे।

लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल ने कहा कि आपातकाल का दर्द हमने अपने बुजुर्गों से सुना है, उस समय सरकारी कर्मचारियों के वेतन तक रोक दिए गए थे। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर अमित कुशवाहा ने किया।

इस अवसर पर हिन्दुस्थान समाचार के निदेशक अरविन्द मार्डीकर, राजेन्द्र सक्सेना, स्वामी मुरारी दास, प्रशान्त भाटिया, हरीश श्रीवास्तव, अवनीश त्यागी, मनीष शुक्ला, आनंद दुबे, डॉ. हरनाम सिंह और अनिल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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